सियोल9 दिन पहले
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साउथ कोरिया के वैज्ञानिकों ने कृत्रिम सूर्य में 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस का तापमान 48 सेकेंड तक मेंटेन करने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है। ये तापमान सूर्य के कोर से सात गुना अधिक है। इससे पहले 2021 में 30 सेकेंड का रिकॉर्ड बना था।
वैज्ञानिकों ने कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामैक एडवांस्ड रिसर्च (KSTAR) डिवाइस बनाया है, जिसमें यह तापमान न्यूक्लियर फ्यूजन एक्सपेरिमेंट के दौरान पैदा किया गया। ये एक्सपेरिमेंट दिसंबर 2023 और फरवरी 2024 के बीच किया गया था।
न्यूक्लियर फ्यूजन में दो हल्के परमाणु नाभिक मिलकर एक भारी परमाणु बनाते हैं। इसमें भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है। सूर्य जैसे तारों को भी न्यूक्लियर फ्यूजन से ही ऊर्जा और रोशनी मिलती है। इसमें हाइड्रोजन एटम एक साथ मिलकर हीलियम बनाते हैं।
2026 तक 300 सेकेंड तक तापमान मेंटेन करने का लक्ष्य
कोरियाई इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी में KSTAR रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर सी-वू यून ने कहा, हम 2026 तक 300 सेकेंड के लिए 100 मिलियन डिग्री के प्लाज्मा तापमान को बनाए रखने में सक्षम होना चाहते हैं। ये काफी अहम होगा। फ्यूजन रिएक्शन के लिए अत्यधिक गर्मी और दबाव की जरूरत पड़ती है। पृथ्वी पर इस प्रक्रिया में महारत हासिल करना बेहद चुनौतीपूर्ण है।
फ्यूजन रिएक्टर की सफलता से तीन बड़े फायदे होंगे
- फ्यूजन में कार्बन प्रदूषण के बिना असीमित ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता है।
- फ्यूजन में न्यूक्लियर फिजन के चेन रिएक्शन की तरह खतरा नहीं है।
- इसमें लंबे समय तक रहने वाले न्यूक्लियर वेस्ट का उत्पादन नहीं होता।
KSTAR को कृत्रिम सूर्य के रूप में जाना जाता है। 10 जनवरी, 2022 को दक्षिण कोरिया के डेजॉन में कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी में इसे स्थापित किया गया था।
डोनट के आकार के रिएक्टर में प्लाज्मा बनाया जाता है
डोनट के आकार के फ्यूजन रिएक्टर का नाम ‘टोकामैक’ है। इसमें प्लाज्मा बनाने के लिए हाइड्रोजन वैरिएंट को गर्म किया जाता है। ये पदार्थ की एक ऐसी अवस्था है जिसमें परमाणु नाभिक और इलेक्ट्रॉन अलग हो जाते हैं।
कोरियाई इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी (KFE) में KSTAR रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर सी-वू यून ने कहा कि भविष्य के न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर्स की सफलता के लिए हाई टेंपरेचर और हाई डेंसिटी प्लाज्मा को मेंटेन रखना महत्वपूर्ण है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस तापमान पर लंबी अवधि तक फ्यूजन रिएक्शन हो सकता है।