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अमेरिका समेत 3 देशों में दिन में हुई रात: सूर्य ग्रहण देखने पहुंचे 50 लाख लोग; 400 जोड़ों ने रचाई शादी


न्यूयॉर्क4 घंटे पहले

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मैक्सिको के माजतलान में ग्रहण के बाद सूरज कुछ ऐसा नजर आया।

मैक्सिको में सोमवार सुबह 11 बजते ही (भारतीय समय अनुसार सोमवार रात करीब 10 बजे) अंधेरा छा गया। ऐसा साल के पहले पूर्ण सूर्य ग्रहण की वजह से हुआ। मैक्सिको के साथ-साथ इसे अमेरिका और कनाडा में भी देखा गया। यहां ग्रहण के रास्ते में पड़ने वाले राज्यों में करीब 4 मिनट 28 सेकेंड तक दिन में अंधेरा रहा।

वहीं, 54 देशों में आंशिक सूर्य ग्रहण लगा। सोमवार को लगे सूर्य ग्रहण का भारत में कोई असर दिखाई नहीं दिया, क्योंकि ग्रहण जब शुरू हुआ उस वक्त यहां रात थी। द गार्जियन के मुताबिक, अमेरिका के अलग-अलग इलाकों से करीब 50 लाख लोग सूर्य ग्रहण देखने पहुंचे।

अमेरिकी राज्य अर्कान्सास में 400 जोड़ों से इस दौरान शादी की। स्पेस एजेंसी नासा ने बताया कि अब अमेरिका में अगले 21 सालों तक (2045) ऐसा सूर्य ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा।

3 तस्वीरों में ग्रहण की शुरुआत से लेकर अंत तक का सफर

अमेरिका में पूर्ण सूर्य ग्रहण की 4 तस्वीरें

ग्रहण के सारे रूप

सूर्य ग्रहण की ये सारी तस्वीरें मैक्सिको के माजतलान शहर की हैं।

नासा ने नॉर्थ अमेरिका में सूर्य ग्रहण के सारे रूप के साथ यह तस्वीर शेयर की।

नासा ने मेक्सिको, नॉर्थ अमेरिका, कनाडा से होकर गुजरे सूर्य ग्रहण के पाथ ऑफ टोटैलिटी की सैटेलाइट वीडियो शेयर किया।

इस रास्ते से होकर गुजरा पूर्ण सूर्यग्रहण

टाइम लैप्स वीडियो में सूर्य ग्रहण का असर

इंडियाना के ब्लूमिंग्टन में पूर्ण सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में उड़ता प्लेन।

ये तस्वीर मैक्सिको के राष्ट्रपति एंद्रेज मैनुएल लोपेज की है। उन्होंने इस अंदाज में ग्रहण देखा।

सूर्य ग्रहण देखने अमेरिका पहुंचे 50 लाख लोग
साल 2017 के बाद यह पहला मौका था जब नॉर्थ अमेरिका में पूर्ण सूर्य ग्रहण नजर आया। नासा के मुताबिक, पूर्ण सूर्य ग्रहण की अवधि 10 सेकेंड से साढ़े 7 मिनट तक की हो सकती है। 2017 में यह अवधि 2 मिनट 42 सेकेंड रही थी। वहीं सोमवार को पूर्ण सूर्य ग्रहण 4 मिनट 28 सेकेंड तक रहा।

ग्रहण की पहली झलक मैक्सिको के माजतलान में तो वहीं इसका आखिरी नजारा कनाडा के न्यूफाउंडलैंड में दिखा। नासा के मुताबिक, सूर्य ग्रहण अपने पूर्ण रूप में मैक्सिको के नाजास शहर में नजर आया। यहां इसकी अवधि 4 मिनट 28 सेकेंड रही।

न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका में पूर्ण सूर्य ग्रहण के रास्ते में 3 करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। ग्रहण के शुरू होने से लेकर पूर्ण ग्रहण लगने तक करीब 80 मिनट का समय लगा। इसके बाद पूरी तरह से ग्रहण हटने में और 80 मिनट लगे।

कनाडा के ओंटारियों में नियाग्रा फॉल के पास करीब 309 लोग सूरज की कॉस्ट्यूम में पहुंचे। इनमें सिंगापुर-लंदन के लोग भी शामिल थे।

इंडियाना के चिड़ियाघर में बच्चे अनोखे डिजाइन के चश्मे लगाकर सूर्य ग्रहण देखने पहुंचे।

टेक्सास में एक प्लेट पर आंशिक सूर्य ग्रहण की परछाई पड़ती दिखी।

इंडियानापोलिस के चिड़ियाघर में सूर्य ग्रहण के समय सारे फ्लेमिंगो पक्षी एक जगह इकट्ठा हो गए।

इलिनॉय यूनिवर्सिटी के कैंपस में भी छात्र सूर्य ग्रहण देखने के लिए जमा हुए।

अमेरिका में सूर्य ग्रहण देखने के लिए स्पेशल फ्लाइट भी शुरू की गई थी। इस दौरान अर्कान्सास बॉर्डर पर 30 हजार फीट की ऊंचाई पर सूर्य ग्रहण नजर आया।

ग्रहण हटाने के लिए औरतों ने बर्तन बजाए
अमेरिका के चाकटो समुदाय की महिलाओं ने ग्रहण के दौरान घर से बाहर आकर बर्तन बजाए। दरअसल, उनके समुदाय में मान्यता है कि ग्रहण के वक्त एक बड़ी और काली गिलहरी सूरज को खा जाती है। लोग उस गिलहरी को भगाने के लिए बर्तन बजाते हैं।

ग्रहण में रचाई शादी
अमेरिका के अर्कंसास में सूर्य ग्रहण के दौरान 400 जोड़ों ने शादी रचाई। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक सभी ने जीवनभर ग्रहण जैसे अजूबे एक साथ देखने और चांद-तारों की कसमें खाईं। इस दौरान शादी के केक पर भी सूर्य ग्रहण की तस्वीर लगी हुई थी।

सूर्य से निकलने वाली सोलर एनर्जी और उसके पर्यावरण पर असर को जानने के लिए नासा ग्रहण के दौरान साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किए। साउंडिंग रॉकेट स्पेस में ज्यादा दूर तक नहीं जाते हैं। इनका इस्तेमाल पृथ्वी की सतह से 48 से 145 किमी तक की स्टडी के लिए किया जाता है।

मैक्सिको के माजतलान में पूर्ण सूर्य ग्रहण से पहले और बाद का नजारा

2 साल से सूर्य ग्रहण की तैयारी कर रहा था अमेरिकी शहर
कनाडा के ओंटारियो शहर में दोपहर 3 बजकर 12 मिनट पर पूर्ण सूर्य ग्रहण लगना था। हालांकि, लोग नेशनल पार्क से ग्रहण देखने के लिए सुबह 5 बजे से लाइन लगाकर खड़े हो गए थे।

वहीं, अमेरिका के टेक्सास राज्य में एक शहर है- केरविल। यहां का प्रशासन 2 साल से ग्रहण की तैयारी कर रहा था। केरविल की मेयर जुडी इशनेर के मुताबिक उन्हें पहले से ही अंदाजा था कि ग्रहण देखने के लिए भारी संख्या में लोग जुटेंगे।

ऐसे में भीड़ को संभालने के लिए वो 2 साल से तैयारी कर रहे थें। उनके मुताबिक केरविल में सूर्य ग्रहण देखने के लिए 70 से 80 हजार लोग आए जो उनके शहर की आबादी से 4 से 5 गुना ज्यादा है।

ओंटारियों नेशनल पार्क के बाहर ग्रहण देखने आए लोगों की गाड़ियों की कतार ।

साल दर साल यूं बदला ग्रहण देखने का तरीका

क्या होता है सूर्य ग्रहण?
गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से पृथ्वी और सभी दूसरे ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 365 दिनों में एक चक्कर लगाती है। चंद्रमा एक उपग्रह है, जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।

पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में चंद्रमा को 27 दिन लगते हैं। चंद्रमा के चक्कर लगाने के दौरान कई बार ऐसी स्थिति बनती है जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तो सूर्य की रोशनी धरती तक नहीं पहुंच पाती है। इसे सूर्यग्रहण कहते हैं।

ज्यादातर सूर्य ग्रहण अमावस्या के दिन होते हैं, क्योंकि तब चंद्रमा पृथ्वी के करीब होता है। हर 18 महीने में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में सूर्य ग्रहण जरूर लगता है।

लुइजियाना युनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर ब्रेडली शेफर कहते हैं कि हजारों सालों से इंसान ने आसमान को या तो डर या सम्मान से देखा है। पहले के समय में लगभग हर सभ्यता में सूरज को भगवान का दर्जा मिला है। इसलिए सूर्य ग्रहण से जुड़ी घटनाओं के कई किस्से और कहानियां हैं।

2600 साल पहले सूर्य ग्रहण ने रुकवाई जंग
करीब 2,622 साल पहले 28 मई 585 ईसा पूर्व की बात है। तुर्किये में हेलिस नदी के किनारे मेडेस और लिडिया नाम के 2 ताकतवर साम्राज्यों के बीच जंग छिड़ थी। ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस के मुताबिक मेडेस के राजा ने कुछ शिकारियों का अपमान किया था। बदला लेने के लिए शिकारियों ने राजा के बेटे की हत्या कर दी और भागकर पड़ोसी साम्राज्य लिडिया में पनाह ले ली।

जब मेडेस के राजा ने बेटे के हत्यारों को सौंपने को कहा तो लिडिया के राजा ने इनकार कर दिया। इस बात पर नाराज होकर मेडेस ने लिडिया के खिलाफ जंग छेड़ दी। 6 साल गुजरने के बावजूद जंग रुकने का नाम नहीं ले रही थी।

ग्रीक इतिहासकार हीरोडोटस लिखते हैं, “एक रोज जब दोनों सेनाएं कत्लेआम में जुटी थीं कि अचानक दिन में ही अंधेरा छाने लगा। वो दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण का था। इस बदलाव को देखकर मेडेस और लिडियंस हैरान रह गए और उसी दिन जंग रोकने का फैसला कर लिया।”

सूर्य ग्रहण का अनुमान नहीं लगा पाए तो 2 ज्योतिषियों को मिली ‘सजा ए मौत’
अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक 4156 साल पहले 22 अक्टूबर 2134 ईसा पूर्व चीन में 2 ज्योतिषियों को मौत की सजा दी गई थी। इसकी वजह ये थी कि वो सूर्य ग्रहण की भविष्यवाणी करने में नाकामयाब रहे थे।

उस वक्त चीन में मान्यता था कि सूर्य ग्रहण के दिन राजा की मौत हो जाती है। इसलिए ग्रहण की जानकारी देने के लिए महल में 2 ज्योतिषी रखे जाते थे।

ऐसी ही मान्यता मेसोपोटेमिया में भी थी। वहां के लोगों का मानना थी कि सूर्य ग्रहण लगने के 100 दिन भीतर राजा मारा जाएगा। ऐसे में मौत से बचने के लिए राजा कुछ समय तक भाग जाता था और दूरदराज के इलाकों में किसान का भेष बनाकर रहता था।

इन 100 दिनों तक राजा की गद्दी पर किसी अपराधी को रखा जाता था, ताकि अगर मौत आए तो वो अपराधी मारा जाए। एक बार कुछ उलटा ही हुआ। 3,872 साल पहले 1850 ईसा पूर्व किसान बने राजा की मौत हो गई और राजा बना अपराधी गद्दी पर कायम रहा।

सूरज थोड़ा भी बड़ा होता तो नहीं होता पूर्ण सूर्य ग्रहण
ग्रहण न सिर्फ आंखों के लिए अजूबा है बल्कि इससे पृथ्वी से जुड़े कई राज खुले हैं। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सैबाइन स्टेनली के मुताबिक पूर्ण सूर्य ग्रहण एक अजूबा है, जिसमें 3,379 किलोमीटर बड़े चट्टान का गोला यानी चांद लगभग 14 लाख किलोमीटर में फैला एक आग का गोले यानी सूरज को ढंक देता है।

प्रोफेसर के मुताबिक अगर सूरज थोड़ा और बड़ा और पृथ्वी के थोड़ा और नजदीक होता तो पूर्ण सूर्य ग्रहण कभी नहीं लगता। ये इत्तेफाक ही है कि सूरज का साइज और उसकी दूरी उतनी ही है कि वो ग्रहण के वक्त पूरी तरह से चांद से ढंक जाता है। चंद्रमा अपने से 400 गुना बड़े सूरज की रोशनी पृथ्वी तक पहुंचने से रोक देता है।

इतिहास में दर्ज हुए ग्रहण से पता चला है कि हमारी पृथ्वी की घूमने की स्पीड में बदलाव आए हैं। वैज्ञानिकों ने जब पृथ्वी के घूमने की स्पीड से पिछले ग्रहणों की तारीख मैच की तो उसमें फर्क दिखाई दिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक स्पीड पर असर का मतलब ये भी है कि हमारी पृथ्वी का साइज और शेप बदल रहा है।

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